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प्रश्न: रूस-यूक्रेन संघर्ष के बीच यूक्रेन के साथ संबंधों को मजबूत करने में भारत के लिए रणनीतिक लाभ और चुनौतियों का परीक्षण कीजिए।

Examine the strategic benefits and challenges for India in strengthening ties with Ukraine amidst the ongoing Russia-Ukraine conflict.

उत्तर: रूस-यूक्रेन संघर्ष के बीच भारत के लिए यूक्रेन के साथ संबंधों को मजबूत करना एक जटिल रणनीतिक निर्णय है। भारत ने रूस के साथ ऐतिहासिक रूप से घनिष्ठ संबंध बनाए हैं। हालांकि, यूक्रेन के साथ सहयोग बढ़ाने से व्यापार, रक्षा और कूटनीतिक लाभ मिल सकते हैं। यह संतुलन बनाए रखना चुनौतीपूर्ण है।

भारत के लिए रणनीतिक लाभ

(1) व्यापारिक अवसर: भारत और यूक्रेन के बीच कृषि, फार्मास्यूटिकल्स और तकनीकी क्षेत्रों में व्यापार बढ़ सकता है। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को लाभ होगा और व्यापार विविधता बढ़ेगी। यह सहयोग भारत को यूरोपीय बाजारों में अपनी उपस्थिति मजबूत करने में मदद कर सकता है।

(2) रक्षा सहयोग: भारत को यूक्रेन से रक्षा उपकरणों और तकनीकी सहायता प्राप्त हो सकती है। इससे सैन्य क्षमताओं में सुधार होगा और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी। यह सहयोग भारत की रक्षा उत्पादन क्षमताओं को भी बढ़ा सकता है।

(3) कूटनीतिक संतुलन: यूक्रेन के साथ संबंध मजबूत करने से भारत को पश्चिमी देशों के साथ अपने संबंधों को और बेहतर करने का अवसर मिलेगा। इससे भारत की वैश्विक स्थिति मजबूत होगी और कूटनीतिक लचीलापन बढ़ेगा।

(4) ऊर्जा सुरक्षा: यूक्रेन के ऊर्जा संसाधनों तक पहुंच से भारत की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा मिल सकता है। यह सहयोग भारत को ऊर्जा आपूर्ति के विविधीकरण में मदद करेगा और दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करेगा।

(5) वैश्विक प्रभाव: भारत की सक्रिय भूमिका से उसकी वैश्विक स्थिति मजबूत होगी और वह एक प्रभावशाली मध्यस्थ के रूप में उभर सकता है। इससे भारत की अंतरराष्ट्रीय कूटनीति को नई दिशा मिलेगी और उसकी साख बढ़ेगी।

भारत के लिए प्रमुख चुनौतियाँ

(1) रूस के साथ संबंधों पर प्रभाव: भारत के रूस के साथ ऐतिहासिक और रणनीतिक संबंध हैं, जो रक्षा और ऊर्जा क्षेत्रों में महत्वपूर्ण हैं। यदि भारत यूक्रेन के साथ सहयोग बढ़ाता है, तो इससे रूस के साथ संबंधों में तनाव उत्पन्न हो सकता है। 

(2) भू-राजनीतिक दबाव: भारत को अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देते हुए कूटनीतिक निर्णय लेने होंगे। यदि भारत यूक्रेन के साथ संबंध मजबूत करता है, तो उसे पश्चिमी देशों और रूस दोनों के दबाव का सामना करना पड़ सकता है।

(3) आर्थिक जोखिम: युद्धग्रस्त क्षेत्र में निवेश करने से आर्थिक अस्थिरता और व्यापारिक जोखिम बढ़ सकते हैं। इससे भारतीय कंपनियों को वित्तीय नुकसान हो सकता है और निवेश की सुरक्षा प्रभावित हो सकती है। भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसका निवेश सुरक्षित रहे और व्यापारिक अवसरों का लाभ उठाया जा सके।

(4) रक्षा क्षेत्र में निर्भरता: भारत की रक्षा आपूर्ति का एक बड़ा हिस्सा रूस से आता है, जिससे यूक्रेन के साथ सहयोग सीमित हो सकता है। यदि भारत यूक्रेन से रक्षा सहयोग बढ़ाता है, तो उसे रूस से मिलने वाली रक्षा आपूर्ति पर प्रभाव पड़ सकता है। भारत को अपनी रक्षा नीति में संतुलन बनाए रखना होगा।

(5) सार्वजनिक और राजनीतिक धारणा: भारत में रूस समर्थक विचारधारा के कारण यूक्रेन के साथ संबंधों को लेकर राजनीतिक और सार्वजनिक प्रतिक्रिया मिश्रित हो सकती है। इससे भारत की विदेश नीति पर दबाव बढ़ सकता है। भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसकी कूटनीति संतुलित रहे और घरेलू समर्थन बना रहे।

भारत के लिए यूक्रेन के साथ संबंधों को मजबूत करना रणनीतिक रूप से लाभकारी हो सकता है। हालांकि, इसके साथ कई चुनौतियाँ भी जुड़ी हैं। भारत को अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए संतुलित कूटनीति अपनानी होगी। 

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