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प्रश्न: प्राचीन भारतीय इतिहास की हमारी समझ को आकार देने में सिंधु घाटी सभ्यता की खोज के महत्त्व का परीक्षण कीजिए। 

Examine the significance of the discovery of the Indus Valley Civilization in shaping our understanding of ancient Indian history.

उत्तर: सिंधु घाटी सभ्यता भारत की प्राचीन नगर सभ्यता है, जिसकी खोज ने भारतीय इतिहास को नवपरिभाषित किया। यह सभ्यता 2500 ईसा पूर्व विकसित हुई थी और हड़प्पा, मोहनजोदड़ो जैसे स्थलों पर मिली। इसकी खोज से प्राचीन भारत की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक उन्नति स्पष्ट हुई। नगर नियोजन, व्यापार, कला और लिपि की उपस्थिति ने इसे अत्यधिक उन्नत सभ्यता सिद्ध किया।

सिंधु घाटी सभ्यता की खोज का प्रभाव

(1) इतिहास का पुनर्लेखन: इस खोज ने भारतीय इतिहास को आर्य युग से पूर्व तक विस्तारित किया। यह प्रमाणित हुआ कि भारत में आर्यों से पहले एक सुसंस्कृत नगरीय समाज था। हड़प्पा और मोहनजोदड़ो के उत्खनन से विकसित जीवन शैली, योजनाबद्ध नगर संरचना तथा संगठित प्रशासन की जानकारी मिली।

(2) नगर नियोजन की उन्नति: इस सभ्यता में सुव्यवस्थित सड़कों, जल निकासी प्रणाली और सुनियोजित भवनों की मौजूदगी दर्शाती है कि नगर नियोजन अत्यंत विकसित था। पक्की ईंटों से निर्मित घर, स्नानागार और जल संग्रहण प्रणाली यह प्रमाणित करती हैं कि तत्कालीन समाज में पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता थी।

(3) आर्थिक गतिविधियां: व्यापारिक संपर्क विकसित थे, जिसमें स्थानीय तथा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार शामिल था। कृषि, धातु कार्य, बुनाई और मिट्टी के बर्तन बनाने की प्रक्रिया अत्यंत उन्नत थी। सिंधु सभ्यता की मुद्रा और मुहरें दर्शाती हैं कि व्यवसायिक लेन-देन संरचित तरीके से किया जाता था।

(4) लिपि और लेखन प्रणाली: हड़प्पाई लिपि का व्यापक प्रयोग इस सभ्यता में हुआ, जिससे प्रशासन और व्यापार के संचालन की पुष्टि होती है। यद्यपि यह लिपि अभी तक अपठनीय है, लेकिन इसका उपयोग दर्शाता है कि लेखन एवं अभिलेखन की परंपरा पहले से मौजूद थी।

(5) सांस्कृतिक एकरूपता: इस सभ्यता के विभिन्न स्थलों पर समान कलाकृतियां, धार्मिक प्रतीक और सामाजिक व्यवहार मिलने से यह प्रमाणित होता है कि इस समाज में सांस्कृतिक समरसता थी। इसके धार्मिक एवं सामाजिक दृष्टिकोण भारतीय संस्कृति की निरंतरता को दर्शाते हैं।

भारतीय इतिहास में योगदान

(1) प्राचीन भारत की गहराई: सिंधु सभ्यता की खोज ने भारतीय इतिहास को 5000 वर्षों से अधिक पुराना सिद्ध किया। यह प्रदर्शित करता है कि भारत में प्रारंभिक नगर सभ्यता अत्यंत विकसित थी और सामाजिक संगठन की जटिलता दर्शाती है।

(2) पर्यावरणीय जागरूकता: इस सभ्यता में जल संरक्षण, हरित निर्माण और प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग की तकनीकों का उपयोग किया गया। इससे यह सिद्ध होता है कि प्राचीन भारतीय समाज पर्यावरणीय दृष्टि से उन्नत था।

(3) धार्मिक और सामाजिक संकेत: सिंधु सभ्यता में मातृ देवी, पशुपति और शिव जैसे धार्मिक प्रतीकों की मूर्तियां पाई गईं, जो यह दर्शाती हैं कि भारतीय धार्मिक मान्यताएं अत्यंत पुरानी हैं और वे समाज में गहराई से समाहित थीं।

(4) वैज्ञानिक दृष्टिकोण: नगर नियोजन, जल प्रबंधन, गणित और वास्तुकला की उन्नत तकनीकों का उपयोग इस सभ्यता में किया गया था। इसके प्रमाण यह दर्शाते हैं कि वैज्ञानिक एवं तकनीकी नवाचार प्राचीन भारत में विद्यमान थे।

(5) भारतीय उपमहाद्वीप में निरंतरता: सिंधु सभ्यता की नगर संरचना, कृषि पद्धतियां और सामाजिक व्यवस्थाएं आज भी भारतीय समाज में किसी न किसी रूप में परिलक्षित होती हैं। इससे भारतीय संस्कृति की निरंतरता और स्थायित्व सिद्ध होता है।

सिंधु घाटी सभ्यता की खोज ने भारतीय इतिहास की गहराइयों को उजागर किया और उसके पूर्ववर्ती समाज की उत्कृष्टता को प्रमाणित किया। इसकी नगर संरचना, सामाजिक समरसता और वैज्ञानिक उपलब्धियां यह दर्शाती हैं कि भारतीय उपमहाद्वीप सदियों से एक उन्नत और संगठित समाज रहा है।

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