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प्रश्न: भारत में स्थानीय सरकारों के लिए समय पर और निष्पक्ष चुनाव कराने में राज्य निर्वाचन आयोगों (SECs) के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा कीजिए। राज्य निर्वाचन आयोगों को भारत निर्वाचन आयोग के बराबर सशक्त बनाने के लिए कौन-से सुधार आवश्यक हैं?

Discuss the challenges faced by State Election Commissions (SECs) in India in conducting timely and fair elections for local governments. What reforms are necessary to empower SECs on par with the Election Commission of India?

उत्तर: राज्य निर्वाचन आयोग (SEC) भारत में स्थानीय सरकारों के चुनावों का संचालन करता है। यह संविधान के अनुच्छेद 243K के तहत स्थापित एक स्वायत्त निकाय है, जिसका उद्देश्य समय पर और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना है। हालांकि, इसे भारत निर्वाचन आयोग (ECI) के समान अधिकार प्राप्त नहीं हैं, जिससे इसकी कार्यक्षमता सीमित हो जाती है। 

राज्य निर्वाचन आयोगों की वर्तमान चुनौतियां

(1) संवैधानिक सीमाएं: SEC को ECI के समान अधिकार नहीं दिए गए हैं, जिससे उनकी स्वतंत्रता और प्रभावशीलता सीमित होती है। यह असमानता चुनाव प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न करती है और स्थानीय चुनावों की निष्पक्षता को प्रभावित कर सकती है। SEC को अधिक संवैधानिक अधिकार दिए जाने चाहिए ताकि वे स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकें।

(2) राजनीतिक हस्तक्षेप: राज्य सरकारें अक्सर SEC के कार्यों में हस्तक्षेप करती हैं, जिससे निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं। राजनीतिक दबाव के कारण चुनाव प्रक्रिया में अनियमितताएं उत्पन्न हो सकती हैं। SEC को स्वतंत्रता प्रदान करने के लिए कानूनी प्रावधानों को मजबूत किया जाना चाहिए।

(3) वित्तीय संसाधनों की कमी: SEC को पर्याप्त बजट और संसाधन नहीं मिलते, जिससे चुनाव संचालन में बाधा उत्पन्न होती है। वित्तीय स्वतंत्रता के अभाव में आयोग की कार्यक्षमता प्रभावित होती है। चुनावी प्रक्रिया को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए SEC को पर्याप्त वित्तीय सहायता दी जानी चाहिए।

(4) तकनीकी समस्याएं: आधुनिक तकनीकों की कमी से चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और दक्षता प्रभावित होती है। ईवीएम और डिजिटल चुनावी प्रक्रियाओं का समुचित उपयोग न होने से चुनावों की विश्वसनीयता पर असर पड़ता है। तकनीकी उन्नयन से चुनावी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाया जा सकता है।

(5) प्रशासनिक चुनौतियां: स्थानीय स्तर पर प्रशासनिक सहयोग की कमी से चुनाव प्रक्रिया में देरी और जटिलता बढ़ती है। चुनावी अधिकारियों को उचित प्रशिक्षण और संसाधन उपलब्ध कराए जाने चाहिए। प्रशासनिक सुधारों से चुनावी प्रक्रिया को अधिक सुचारू और निष्पक्ष बनाया जा सकता है।

SEC को ECI के बराबर सशक्त बनाने के लिए सुधार के उपाय

(1) संवैधानिक सशक्तिकरण: राज्य निर्वाचन आयोग (SEC) को भारत निर्वाचन आयोग (ECI) के समान संवैधानिक अधिकार और स्वतंत्रता प्रदान की जानी चाहिए। यह सुनिश्चित करेगा कि SEC स्वतंत्र रूप से कार्य कर सके और राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त रहे। संवैधानिक संशोधन के माध्यम से यह सुधार लागू किया जा सकता है।

(2) वित्तीय स्वायत्तता: SEC को पर्याप्त बजट और वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराए जाने चाहिए। वित्तीय स्वतंत्रता से आयोग की कार्यक्षमता में सुधार होगा और चुनावी प्रक्रिया अधिक सुचारू और प्रभावी होगी। यह सुधार चुनावी संचालन में आने वाली बाधाओं को दूर करेगा।

(3) तकनीकी उन्नयन: चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाना चाहिए। ईवीएम, वीवीपैट और डिजिटल चुनावी प्रक्रियाओं को अधिक प्रभावी बनाया जाना चाहिए। तकनीकी सुधार से चुनावी प्रक्रिया अधिक विश्वसनीय और पारदर्शी बनेगी।

(4) प्रशासनिक सुधार: स्थानीय प्रशासन को SEC के साथ सहयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। चुनावी अधिकारियों को उचित प्रशिक्षण और संसाधन उपलब्ध कराए जाने चाहिए। यह सुधार चुनावी प्रक्रिया को अधिक सुचारू और निष्पक्ष बनाएगा।

(5) राजनीतिक हस्तक्षेप पर रोक: राज्य सरकारों के हस्तक्षेप को रोकने के लिए कानूनी प्रावधान बनाए जाने चाहिए। चुनाव आयोग की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए सख्त नियम लागू किए जाने चाहिए। यह सुधार चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता को बनाए रखने में सहायक होगा।

राज्य निर्वाचन आयोगों को सशक्त बनाने के लिए संवैधानिक, वित्तीय और तकनीकी सुधार आवश्यक हैं। इन सुधारों से स्थानीय चुनाव अधिक निष्पक्ष और समय पर हो सकेंगे, जिससे लोकतंत्र की जड़ें मजबूत होंगी और भारत का लोकतांत्रिक ढांचा और सुदृढ़ होगा।

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