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यूपीएससी प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा पाठ्यक्रम 2025

प्रश्नपत्र-I (सामान्य अध्ययन)

(1) राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व की सामयिक घटनाएं

(2) भारत का इतिहास और भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन

(3) भारत एवं विश्व भूगोल – भारत एवं विश्व का प्राकृतिक, सामाजिक, आर्थिक भूगोल

(4) भारतीय राज्यतन्त्र और शासन – संविधान, राजनैतिक प्रणाली, पंचायती राज, लोक नीति, अधिकारों संबंधी मुद्दे, आदि

(5) आर्थिक और सामाजिक विकास – सतत विकास, गरीबी, समावेशन, जनसांख्यिकी, सामाजिक क्षेत्र में की गई पहल आदि

(6) पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, जैव-विविधता और मौसम परिवर्तन संबंधी सामान्य मुद्दे, जिनके लिए विषयगत विशेषज्ञता आवश्यक नहीं है

(7) सामान्य विज्ञान

प्रश्नपत्र-II (सीसैट)

(1) बोधगम्यता

(2) संचार कौशल सहित अंतर-वैयक्तिक कौशल

(3) तार्किक कौशल एवं विश्लेषणात्मक क्षमता

(4) निर्णय लेना और समस्या समाधान

(5) सामान्य मानसिक योग्यता

(6) आधारभूत संख्यनन (संख्याएं और उनके संबंध, विस्तार क्रम आदि दसवीं कक्षा का स्तर) तथा आंकड़ों का निर्वचन (चार्ट, ग्राफ, तालिका, आंकड़ों की पर्याप्तता आदि दसवीं कक्षा का स्तर)

टिप्पणी-1 : सिविल सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा में वस्तुपरक (बहुविकल्पीय प्रश्न) प्रकार के दो प्रश्नपत्र होंगे। प्रत्येक प्रश्नपत्र 200 अंकों का होता है। 

टिप्पणी-2 : प्रश्नपत्र-I ‘सामान्य अध्ययन’ का है जबकि प्रश्नपत्र-II ‘सीसैट’ (सिविल सेवा अभिवृति परीक्षा) का है। प्रश्नपत्र-I में 2-2 अंकों के 100 प्रश्न होते हैं जबकि प्रश्नपत्र-II में 2.5-2.5 अंकों के 80 प्रश्न। दोनों प्रश्नपत्र हिन्दी और अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं में तैयार किए जाएंगे।

टिप्पणी-3 : सिविल सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा का प्रश्नपत्र-II, अर्हक पेपर होगा जिसके लिए न्यूनतम अर्हक अंक 33% निर्धारित किए गए हैं।

टिप्पणी-4 : मूल्यांकन के प्रयोजन से उम्मीदवार के लिए यह अनिवार्य है कि वह सिविल सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा के दोनों पेपरों में सम्मिलित हो। यदि कोई उम्मीदवार सिविल सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा के दोनों पेपरों में सम्मिलित नहीं होता है तब उसे अयोग्य ठहराया जाएगा।

टिप्पणी-5 : आयोग, सिविल सेवा (प्रधान) परीक्षा के लिए अर्हक उम्मीदवारों की एक सूची तैयार करेगा जिसका निर्धारण आयोग द्वारा सिविल सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-II में 33% अंक तथा सिविल सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-1 के कुल अर्हक अंकों पर आधारित होगा।

टिप्पणी-6 :  सिविल सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा के प्रश्नपत्रों में, उम्मीदवार द्वारा दिए गए गलत उत्तरों के लिए दंड (ऋणात्मक अंकन) दिया जाएगा। (i) प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार विकल्प हैं। उम्मीदवार द्वारा प्रत्येक प्रश्न के लिए दिए गए गलत उत्तर के लिए, उस प्रश्न के लिए दिए जाने वाले अंकों का एक-तिहाई (0.33) दंड के रूप में काटा जाएगा। (ii) यदि उम्मीदवार एक से अधिक उत्तर देता है तो उसे गलत उत्तर माना जाएगा चाहे दिए गए उत्तरों में से एक ठीक ही क्यों न हो और उस प्रश्न के लिए वही दंड होगा जो ऊपर बताया गया है। (iii) यदि प्रश्न को खाली छोड़ दिया गया है अर्थात् उम्मीदवार द्वारा कोई उत्तर नहीं दिया गया है तो उस प्रश्न के लिए कोई दंड नहीं दिया होगा।

अनिवार्य प्रश्नपत्र – भारतीय भाषाएं

(i) दिए गए गद्यांशों को समझना

(ii) संक्षेपण

(iii) शब्द प्रयोग तथा शब्द भंडार

(iv) लघु निबंध

(v) अंग्रेजी से भारतीय भाषा तथा भारतीय भाषा से अंग्रेजी में अनुवाद

अनिवार्य प्रश्नपत्र – अंग्रेजी भाषा

(i) दिए गए गद्यांशों को समझना

(ii) संक्षेपण

(iii) शब्द प्रयोग तथा शब्द भंडार

(iv) लघु निबंध

टिप्पणी-1 : भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी के प्रश्नपत्र (प्रश्नपत्र क एवं प्रश्नपत्र ख) मैट्रिकुलेशन अथवा समकक्ष स्तर के होंगे, जिनमें केवल अर्हता प्राप्त करनी होगी। इन प्रश्नपत्रों में प्राप्त अंकों को योग्यता क्रम निर्धारित करने में नहीं गिना जाएगा।

टिप्पणी-2 : अंग्रेजी तथा भारतीय भाषाओं के प्रश्नपत्रों के उत्तर उम्मीदवारों को अंग्रेजी तथा संबंधित भारतीय भाषा में देने होंगे (अनुवाद को छोड़कर)।

टिप्पणी-3 : सभी उम्मीदवारों के ‘निबंध’, ‘सामान्य अध्ययन’ तथा वैकल्पिक विषय के प्रश्नपत्रों का मूल्यांकन ‘भारतीय भाषा’ तथा ‘अंग्रेजी’ के उनके अर्हक प्रश्नपत्र के साथ ही किया जाएगा। परन्तु ‘निबंध’, ‘सामान्य अध्ययन’ तथा वैकल्पिक विषय के प्रश्नपत्रों पर केवल ऐसे उम्मीदवारों के मामले में विचार किया जाएगा, जो इन अर्हक प्रश्नपत्रों में न्यूनतम अर्हता मानकों के रूप में भारतीय भाषा में 25% अंक तथा अंग्रेजी में 25% अंक प्राप्त करते हैं।

टिप्पणी-4 : भारतीय भाषा के लिए उम्मीदवार को 8वीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाओं में से किसी एक का चयन करना होता है तथापि भारतीय भाषाओं का प्रथम प्रश्नपत्र उन उम्मीदवारों के लिए अनिवार्य नहीं होगा जो अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड तथा सिक्किम राज्य के हैं।

प्रश्न पत्र-I (निबंध)

उम्मीदवार को विविध विषयों पर निबंध लिखना होगा। उनसे अपेक्षा की जाएगी कि वे निबंध के विषय पर ही केन्द्रित रहें तथा अपने विचारों को सुनियोजित रूप से व्यक्त करें और संक्षेप में लिखें। प्रभावी और सटीक अभिव्यक्ति के लिए अंक प्रदान किए जाएंगे।

प्रश्नपत्र-II (सामान्य अध्ययन-I)

भारतीय विरासत और संस्कृति, विश्व का इतिहास एवं भूगोल और समाज 

(1) भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू शामिल होंगे।

(2) 18वीं सदी के लगभग मध्य से लेकर वर्तमान समय तक का आधुनिक भारतीय इतिहास – महत्वपूर्ण घटनाएं, व्यक्तित्व, विषय।

(3) स्वतंत्रता संग्राम – इसके विभिन्न चरण और देश के विभिन्न भागों से इसमें अपना योगदान देने वाले महत्वपूर्ण व्यक्ति/उनका योगदान।

(4) स्वतंत्रता के पश्चात देश के अंदर एकीकरण और पुनर्गठन।

(5) विश्व के इतिहास में 18वीं सदी की घटनाएं यथा औद्योगिक क्रांति, विश्व युद्ध, राष्ट्रीय सीमाओं का पुनः सीमांकन, उपनिवेशवाद, उपनिवेशवाद की समाप्ति, राजनीतिक दर्शन शास्त्र; जैसे- साम्यवाद, पूंजीवाद, समाजवाद आदि शामिल होंगे, उनके रूप और समाज पर उनका प्रभाव।

(6) भारतीय समाज की मुख्य विशेषताएं, भारत की विविधता।

(7) महिलाओं की भूमिका और महिला संगठन, जनसंख्या एवं सम्बद्ध मुद्दे, गरीबी और विकासात्मक विषय, शहरीकरण, उनकी समस्याएं और उनके रक्षोपाय।

(8) भारतीय समाज पर भूमंडलीकरण का प्रभाव।

(9) सामाजिक सशक्तीकरण, सम्प्रदायवाद, क्षेत्रवाद और धर्म-निरपेक्षता।

(10) विश्व के भौतिक भूगोल की मुख्य विशेषताएं।

(11) विश्वभर के मुख्य प्राकृतिक संसाधनों का वितरण (दक्षिण एशिया और भारतीय उपमहाद्वीप को शामिल करते हुए), विश्व (भारत सहित) के विभिन्न भागों में प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्र के उद्योगों को स्थापित करने के लिए जिम्मेदार कारक।

(12) भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखीय हलचल, चक्रवात आदि जैसी महत्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएं, भूगोलीय विशेषताएं और उनके स्थान – अति महत्वपूर्ण भूगोलीय विशेषताओं (जल-स्रोत और हिमावरण सहित) और वनस्पति एवं प्राणिजगत में परिवर्तन और इस प्रकार के परिवर्तनों के प्रभाव।

प्रश्नपत्र-III (सामान्य अध्ययन-II)

शासन व्यवस्था, संविधान, शासन-प्रणाली, सामाजिक न्याय तथा अंतर्राष्ट्रीय संबंध 

(1) भारतीय संविधान – ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएं, संशोधन, महत्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना।

(2) संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व, संघीय ढांचे से संबंधित विषय एवं चुनौतियां, स्थानीय स्तर पर शाक्तियों और वित्त का हस्तांतरण और उसकी चुनौतियां।

(3) विभिन्न घटकों के बीच शक्तियों का पृथक्करण, विवाद निवारण तंत्र तथा संस्थान।

(4) भारतीय संवैधानिक योजना की अन्य देशों के साथ तुलना।

(5) संसद और राज्य विधायिका – संरचना, कार्य, कार्य-संचालन, शक्तियां एवं विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले विषय।

(6) कार्यपालिका और न्यायपालिका की संरचना, संगठन और कार्य – सरकार के मंत्रालय एवं विभाग, प्रभावक समूह और औपचारिक/अनौपचारिक संघ तथा शासन प्रणाली में उनकी भूमिका।

(7) जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम की मुख्य विशेषताएं।

(8) विभिन्न सवैधानिक पदों पर नियुक्ति और विभिन्न संवैधानिक निकाय की शक्तियां, कार्य और उत्तरदायित्व।

(9) सांविधिक, विनियामक और विभिन्न अर्ध-न्यायिक निकाय।

(10) सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

(11) विकास प्रक्रिया तथा विकास उद्योग – गैर-सरकारी संगठनों, स्वयं सहायता समूहों, विभिन्न समूहों और संघों, दानकर्ताओं, लोकोपकारी संस्थाओं, संस्थागत एवं अन्य पक्षों की भूमिका।

(12) केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन, इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिए गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय।

(13) स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।

(14) गरीबी और भूख से संबंधित विषय।

(15) शासन व्यवस्था, पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्वपूर्ण पक्ष, ई-गवर्नेंस-अनुप्रयोग, मॉडल, सफलताएं, सीमाएं और संभावनाएं, नागरिक चार्टर, पारदर्शिता एवं जवाबदेही और संस्थागत तथा अन्य उपाय।

(16) लोकतंत्र में सिविल सेवाओं की भूमिका।

(17) भारत एवं इसके पड़ोसी-संबंध।

(18) द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।

(19) भारत के हितों, भारतीय परिदृश्य पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव।

(20) महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएं और मंच – उनकी संरचना, अधिदेश।

प्रश्नपत्र-IV (सामान्य अध्ययन-III)

प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव-विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन

(1) भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोजगार से संबंधित विषय।

(2) समावेशी विकास तथा इससे उत्पन्न विषय।

(3) सरकारी बजट।

(4) मुख्य फसलें – देश के विभिन्न भागों में फसलों का पैटर्न – सिंचाई के विभिन्न प्रकार एवं सिंचाई प्रणाली – कृषि उत्पाद का भंडारण, परिवहन तथा विपणन, संबंधित विषय और बाधाएं; किसानों की सहायता के लिए ई-प्रौद्योगिकी।

(5) प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विषय; जन वितरण प्रणाली – उद्देश्य, कार्य, सीमाएं, सुधार; बफर स्टॉक तथा खाद्य सुरक्षा संबंधी विषय; प्रौद्योगिकी मिशन; पशु-पालन संबंधी अर्थशास्त्र।

(6) भारत में खाद्य प्रसंस्करण एवं संबंधित उद्योग – कार्यक्षेत्र एवं महत्व, ऊपरी और नीचे की अपेक्षाएं, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन।

(7) भारत में भूमि सुधार।

(8) उदारीकरण का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, औद्योगिक नीति में परिवर्तन तथा औद्योगिक विकास पर इनका प्रभाव।

(9) बुनियादी ढांचा – ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि।

(10) निवेश मॉडल।

(11) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी – विकास एवं अनुप्रयोग और रोजमर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव।

(12) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।

(13) सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कम्प्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक सम्पदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।

(14) संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

(15) आपदा और आपदा प्रबंधन।

(16) विकास और फैलते उग्रवाद के बीच संबंध। 

(17) आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौती उत्पन्न करने वाले शासन विरोधी तत्वों की भूमिका।

(18) संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा को चुनौती, आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों में मीडिया और सामाजिक नेटवर्किंग साइटों की भूमिका साइबर सुरक्षा की बुनियादी बातें, धन-शोधन और इसे रोकना।

(19) सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियां एवं उनका प्रबंधन – संगठित अपराध और आतंकवाद के बीच संबंध।

(20) विभिन्न सुरक्षा बल और संस्थाएं तथा उनके अधिदेश।

प्रश्नपत्र-V (सामान्य अध्ययन-IV)

नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा और अभिरूचि 

इस प्रश्नपत्र में ऐसे प्रश्न शामिल होंगे जो सार्वजनिक जीवन में उम्मीदवारों की सत्यनिष्ठा, ईमानदारी से संबंधित विषयों के प्रति उनकी अभिवृत्ति, उनके दृष्टिकोण तथा समाज से आचार-व्यवहार में विभिन्न मुद्दों एवं सामने आने वाली समस्याओं के समाधान को लेकर उनकी मनोवृत्ति का परीक्षण करेंगे। इन आयामों का निर्धारण करने के लिए प्रश्नपत्रों में किसी मामले के अध्ययन (केस स्टडी) का माध्यम भी चुना जा सकता है। मुख्य रूप से निम्नलिखित क्षेत्रों को कवर किया जाएगा-

(1) नीतिशास्त्र तथा मानवीय सह-संबंध: मानवीय क्रियाकलापों में नीतिशास्त्र का सार तत्व, इसके निर्धारक और परिणाम; नीतिशास्त्र के आयाम; निजी और सार्वजनिक संबंधों में नीतिशास्त्र। मानवीय मूल्य – महान नेताओं, सुधारकों और प्रशासकों के जीवन तथा उनके उपदेशों से शिक्षा; मूल्य विकसित करने में परिवार, समाज और शैक्षणिक संस्थाओं की भूमिका।

(2) अभिवृत्ति: सारांश (कंटेन्ट), संरचना, वृत्ति; विचार तथा आचरण के परिप्रेक्ष्य में इसका प्रभाव एवं संबंध; नैतिक और राजनीतिक अभिरूचि; सामाजिक प्रभाव और धारणा।

(3) सिविल सेवा के लिए अभिरुचि तथा बुनियादी मूल्य, सत्यनिष्ठा, भेदभाव रहित तथा गैर-तरफदारी, निष्पक्षता, सार्वजनिक सेवा के प्रति समर्पण भाव, कमजोर वर्गों के प्रति सहानुभूति, सहिष्णुता तथा संवेदना।

(4) भावनात्मक समझ: अवधारणाएं तथा प्रशासन और शासन व्यवस्था में उनके उपयोग और प्रयोग।

(5) भारत तथा विश्व के नैतिक विचारकों तथा दार्शनिकों के योगदान।

(6) लोक प्रशासनों में लोक/सिविल सेवा मूल्य तथा नीतिशास्त्र: स्थिति तथा समस्याएं; सरकारी तथा निजी संस्थानों में नैतिक चिताएं तथा दुविधाएं; नैतिक मार्गदर्शन के स्रोतों के रूप में विधि, नियम, विनियम तथा अंतर्रात्मा; शासन व्यवस्था में नीतिपरक तथा नैतिक मूल्यों का सुदृढीकरण, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों तथा निधि व्यवस्था (फंडिंग) में नैतिक मुद्दे; कारपोरेट शासन व्यवस्था।

(7) शासन व्यवस्था में ईमानदारी: लोक सेवा की अवधारणा; शासन व्यवस्था और ईमानदारी का दार्शनिक आधार, सरकार में सूचना का आदान-प्रदान और पारदर्शिता, सूचना का अधिकार, नीतिपरक आचार संहिता, आचरण संहिता, नागरिक घोषणा-पत्र, कार्य संस्कृति, सेवा प्रदान करने की गुणवत्ता, लोक निधि का उपयोग, भ्रष्टाचार की चुनौतियां। 

(8) उपर्युक्त विषयों पर मामला संबंधी अध्ययन (केस स्टडी)।

साक्षात्कार/व्यक्तित्व परीक्षण

जो उम्मीदवार सिविल सेवा (प्रधान) परीक्षा के लिखित भाग में आयोग के विवेकानुसार यथानिर्धारित न्यूनतम अर्हक अंक प्राप्त करते हैं उन्हें व्यक्तित्व परीक्षण के लिए साक्षात्कार हेतु बुलाया जाएगा। साक्षात्कार के लिए बुलाए जाने वाले उम्मीदवारों की संख्या भरी जाने वाली रिक्तियों की संख्या से लगभग दुगनी होगी। साक्षात्कार/व्यक्तित्व परीक्षण के लिए 275 अंक (कोई न्यूनतम अर्हक अंक नहीं) होंगे।

इस प्रकार उम्मीदवारों द्वारा सिविल सेवा (प्रधान) परीक्षा (लिखित भाग तथा साक्षात्कार/व्यक्तित्व परीक्षण) में प्राप्त किए गए अंकों के आधार पर अंतिम तौर पर उनके रैंक का निर्धारण किया जाएगा। उम्मीदवारों को विभिन्न सेवाओं का आवंटन परीक्षा में उनके रैंकों तथा विभिन्न सेवाओं और पदों के लिए उनके द्वारा दिए गए वरीयता क्रम को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा।

उम्मीदवार का साक्षात्कार/व्यक्तित्व परीक्षण एक बोर्ड द्वारा होगा जिसके सामने उम्मीदवार के परिचयवृत्त का अभिलेख होगा। उससे सामान्य रुचि की बातों पर प्रश्न पूछे जायेंगे। यह साक्षात्कार/व्यक्तित्व परीक्षण इस उद्देश्य से होगा कि सक्षम और निष्पक्ष प्रेक्षकों का बोर्ड यह जान सके कि उम्मीदवार लोक सेवा के लिए व्यक्तित्व की दृष्टि से उपयुक्त है या नहीं। यह परीक्षा उम्मीदवार की मानसिक क्षमता को जांचने के अभिप्राय से की जाती है। मोटे तौर पर इस परीक्षा का प्रयोजन वास्तव में न केवल उसके बौद्धिक गुणों को अपितु उसके सामाजिक लक्षणों और सामाजिक घटनाओं में उसकी रुचि का भी मूल्यांकन करना है। इसमें उम्मीदवार की मानसिक सतर्कता, आलोचनात्मक ग्रहण शक्ति, स्पष्ट और तर्क संगत प्रतिपादन की शक्ति, संतुलित निर्णय की शक्ति, रुचि की विविधता और गहराई, नेतृत्व और सामाजिक संगठन की योग्यता, बौद्धिक और नैतिक ईमानदारी की भी जांच की जा सकती है।

साक्षात्कार/व्यक्तित्व परीक्षण में प्रति परीक्षण (क्रास एग्जामिनेशन) की प्रणाली नहीं अपनाई जाती। इसमें स्वाभाविक वार्तालाप के माध्यम से उम्मीदवार के मानसिक गुणों का पता लगाने का प्रयत्न किया जाता है, परन्तु वह वार्तालाप एक विशेष दिशा में और एक विशेष प्रयोजन से किया जाता है।

साक्षात्कार/व्यक्तित्व परीक्षण उम्मीदवारों के विशेष या सामान्य ज्ञान की जांच करने के प्रयोजन से नहीं किया जाता, क्योंकि उसकी जांच लिखित प्रश्नपत्रों से पहले ही हो जाती है। उम्मीदवारों से आशा की जाती है कि वे न केवल अपने शैक्षणिक विशेष विषयों में ही पारंगत हों बल्कि उन घटनाओं पर भी ध्यान दें जो उनके चारों ओर अपने राज्य या देश के भीतर और बाहर घट रही हैं तथा आधुनिक विचारधारा और नई-नई खोजों में भी रूचि लें जो कि किसी सुशिक्षित युवक में जिज्ञासा पैदा कर सकती है।

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